Friday, October 5, 2012

वित्तीय व्युत्पादनों का परिचय (Introduction To Financial Derivatives)

वित्तीय व्युत्पादनों  का परिचय (Introduction To Financial Derivatives)
Part 2. Future Contracts:
भाग 2 .वायदा अनुबंध 

जैसा की वायदा संविदा की व्याख्या करते मैं बता चुका हूँ की व्युत्पादन सामान्यतः व्यापार  में जोखिम कम करने के लिए होते हैं. जैसा की हमने देखा  की रामदीन एक सम्झौदा करता है वायदा संविदा के रूप में मुरारी लाल के साथ अपने भविष्य में होने वाले नुकसान से बचने के लिए।
वायदा अनुबंध जो की वायदा संविदा की ही प्रकार का दूसरा सम्झौदा या व्युतापदन है को समझने के लिए हम निम्नलिखित उदहारण पे विचार करते है।

मान लीजिये की रामदीन भविष्य में अपनी फसल काटने के बाद गेहूं 35INR पार्टी किलोग्राम के हिसाब से बेचना चाहता है। अगर मुरारी लाल इस समझौते के लिए मान जाता है तो रामदीन उसके साथ वायदा संविदा कोन्त्रक्ट में जायेगा और वो दोनों एक भविष्य की डेट के लिए ये समझौता करेंगे। मान लीजिये की मुरारी लाल इस समझौते में नही जाना चाहता। उसे लगता है की गेहूं की कीमतें इससे कम रहने वाली है तो उस समय बाज़ार से और सस्ता गेहूं खरीद सकता है। इस स्थिति में रामदीन के पास क्या विकल्प रह जाता है ? रामदीन या तो किसी दुसरे आता मिल वाले को ढूंढे जो उसका गेहूं खरीद नियत मूल्य पे या किसी भी ऐसे व्यापारी को जो 6 माह बाद इस मूल्य पर गेहूं खरीदने में दिलचस्पी रखता हो। यदि रामदीन ऐसे किसी व्यक्ति को खोज पता है तो ठीक है अन्यथा उसे ये समझौते से वंचित रहना पड़ेगा।
रामदीन की समस्या के एक समाधान है की वो किसी  ऐसी जगह से ये समझौता करे जहाँ उसे किसी किसी व्यक्ति पे निर्भर न रहना पड़े। शेयर बाजार एक ऐसी जगह है जहाँ वो एक वायदा अनुबंध खरीद सकता है और ये जिम्मेदारी exchange की होती है की वो इस अनुबंध का विक्रेता खोजे।
ये प्रक्रिया इस प्रकार चलती है , रामदीन किसी व्यक्ति के पास जाने की बजाये शेयर बाजार में जाता है और शेयर बाजार में एक वायदा अनुबंध खरीदने का आर्डर करता है अर्थात वो ये चाहता है की इस समझौते के तहत 6 माह बाद 100 किलोग्राम गेहूं 35 INR /kg  के हिसाब से बेचे । शेयर बाजार इस आर्डर को मैच करता है एक ऐसे आर्डर से जो बेचने के लिए किया गया है। मान लीजिये हिरा लाल एक दूसरा व्यापारी है जो शेयर मार्केट जाता है और एक आर्डर ऐसा वायदा अनुबंध बेचने के लिए करता है। अर्थात वो ये चाहता है की 6  बाद 100 kg  गेहूं 35 INR /kg  के हिसाब से खरीदने का अनुबंध ले।
शेयर बाजार जब ये देखता है की उसके पास एक ऐसा आर्डर है जो की अनुबंध को बेचने के लिए है और एक ऐसा आर्डर है जो अनुबंध खरीदने के लिए है तो वो इस रामदीन और हीरालाल दोनों के आर्डर को पूरा कर देता है। अर्थात रामदीन के पास ऐसा कोन्त्रक्ट है जो उसे 6 माह बाद 100 कग गेहूं 35INR /किलोग्राम के हिसाब से बेचने की गारंटी देता है। और इसी प्रहार हिरा लाल 100 कग गेहूं 6 माह पश्चात 35 INR /किलोग्राम में खरीद सकता है। इस स्थिति में रामदीन और हीरालाल एक दुसरे को जानते नही है। रामदीन को जो गेहूं बेचना है वो एक्स्चेंज को बेचना है। और  इसी प्रकार हीरालाल को जो गेहूं खरीदना है वो एक्सचेंज से खरीदना है।
इस प्रकार का अनुबंध जिसे  हम किसी क्लेअरिंग हाउस या एक्सचेंज की मदद से  करते है  वो वायदा अनुबंध अनुबंध कहलाता है .

ओवर द काउंटर और एक्सचेंज ट्रेडेड अनुबंध 

वायदा संविदा वयापार को हम ओवर द काउंटर ट्रेड बोलते हैं। क्यूंकि ये दो पक्षों के बीच सीधे तौर पे होते हैं। वायदा अनुबंध एक्स्चेज ट्रेडेड अनुबंध कहलाते हैं क्यूंकि इनके ट्रेड में एक्सचेज शामिल होता है।

इस प्रकार वायदा अनुबंध और वायदा संविदा में एक मुख्या अंतर ये है की वायदा अनुबंध एक्सचेंज ट्रेडेड होते है अर्थात उन्हें हम एक्सचेंज  पे खरीद या बेच सकते हैं जबकि वायदा  संविदा तो पक्षों के बीच में होती है।